एक खौफ़नाक मुठभेड़ उस समय शुरू होती है जब कुछ गुंडे गैर-कानूनी सट्टेबाज़ी का पैसा वसूलने पहुँचते हैं। अनुपमा डटकर खड़ी हो जाती है और साफ़ कहती है कि सट्टेबाज़ी ग़ैर-क़ानूनी है और वह उनका पैसा नहीं देगी, क्योंकि वह रकम डांस रानियों की है। गुंडों की धमकियों और यहाँ तक कि परितोष को जान से मार देने की चेतावनी के बावजूद अनुपमा पीछे नहीं हटती।
सरिता और रीता अनुपमा से गुज़ारिश करती हैं कि परितोष की जान बचाने के लिए पैसे दे दे। यहाँ तक कि परितोष भी माँ से विनती करता है कि झगड़े को ख़त्म करने के लिए पैसा दे दिया जाए। हसमुख भी गुंडों से रहम की भीख माँगते हैं। आख़िरकार गुंडे अस्थायी तौर पर वहाँ से चले जाते हैं।
परिवार में दरार
इस घटना के बाद घर में बड़ा तूफ़ान खड़ा हो जाता है। परितोष को लगता है कि उसकी माँ ने उसकी सुरक्षा के लिए पैसे देने से इंकार करके उसे धोखा दिया है। वह अनुपमा की माँ होने पर ही सवाल उठाता है।
अनुपमा ग़ुस्से में उसे उसके पुराने सारे गुनाह गिनाकर सुनाती है और एक ऐतिहासिक फ़ैसला लेती है – अब उसका परितोष से कोई रिश्ता नहीं रहा।
ख़्याति का ग़ुस्सा
मामला और उलझ जाता है जब ख़्याति, अपने बेटे आर्यन की मौत से ग़ुस्से में, अनुपमा को दोष देती है। वह साफ़ कहती है कि वह अनुपमा को कभी माफ़ नहीं करेगी, क्योंकि माँ अपने बेटे की मौत को कभी नहीं भूल सकती।
घर पर टकराव
घर लौटने के बाद पाखी अनुपमा से गुज़ारिश करती है कि वह परितोष को माफ़ कर दे। परितोष भी आहत होकर पूछता है कि क्या वह इतना बुरा है कि उसे माँ ने हमेशा के लिए ठुकरा दिया। वह यह भी कहता है कि उसकी बहन राहि ने भी अनुपमा की माँ होने पर सवाल उठाए थे, मगर अनुपमा ने उससे रिश्ता नहीं तोड़ा।
हद तो तब हो जाती है जब परितोष अनुपमा पर ताना कसता है कि वह हमेशा राहि को भूल जाती है और शक जताता है कि शायद राहि ने ही गौतम से मिलकर अनुपमा को कमरे में बंद करवाया था।
अनुपमा यह सुनकर आग-बबूला हो जाती है और परितोष को तमाचा मार देती है। वह चेतावनी देती है कि राहि को बीच में न घसीटे और अपने गुनाहों की सज़ा ख़ुद भुगते।
परितोष माफ़ी माँगता है, लेकिन अनुपमा साफ़ कर देती है कि उसने उसे पहले भी कई बार माफ़ किया है, मगर यह आख़िरी ग़लती अब बर्दाश्त से बाहर है। जब परितोष उल्टा इल्ज़ाम लगाता है कि उसने अपने बेटे की जान से ज़्यादा महत्व भारती की सर्जरी को दिया, अनुपमा दोबारा उसे तमाचा मार देती है। वह उसे याद दिलाती है कि जब वह कमरे में बंद तड़प रही थी, तब परितोष जुए में व्यस्त था।
अनुपमा का टूटना
अनुपमा आंसुओं में टूट जाती है। वह कहती है कि बड़े बेटे के नाते परितोष को ज़िम्मेदार होना चाहिए था। वह उसे अपने दिवंगत बेटे समर से तुलना करते हुए कहती है कि समर मेहनती और संस्कारी था। हसमुख भी समर की तारीफ़ करते हैं। ग़म और ग़ुस्से में डूबी अनुपमा कहती है कि उसे परितोष और पाखी को जन्म देने का अफ़सोस है। वह परितोष को औपचारिक रूप से अपना बेटा मानने से इंकार कर देती है और घर से निकाल देती है।
किन्जल का निर्णय
हक्का-बक्का परितोष अपनी पत्नी किन्जल से सहारे की उम्मीद करता है। मगर अनुपमा बीच में बोल पड़ती है और किन्जल को समझाती है कि वह परितोष की लम्बी ग़लतियों की लिस्ट पर ग़ौर करे और ख़ुद को इस ज़हरीले रिश्ते से आज़ाद करे।
लीला अनुपमा पर आरोप लगाती है कि वह किन्जल का घर तोड़ रही है। मगर अनुपमा साफ़ कहती है कि हर औरत को अपनी भलाई का फ़ैसला ख़ुद करने का अधिकार है। आख़िरकार किन्जल अनुपमा की बात मान लेती है और परितोष अकेला पड़ जाता है।
प्रीकैप
वसुंधरा अनुपमा का मज़ाक उड़ाते हुए पूछती है कि अब वह कौन सा नया ड्रामा करने आई है। अनुपमा सख़्ती से जवाब देती है कि वह केवल सच्चाई उजागर करने आई है। कोठारी परिवार गौतम के बारे में सच जानकर चौंक जाता है। पराग अनुपमा का साथ देता है और ग़ुस्से में अनुपमा गौतम को तमाचा मार देती है।